जटाधरं पाण्डुरंगं शूलहस्तं कृपानिधिम्।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे।।
विनियोगः
अस्य श्रीदत्तात्रेय स्तोत्र मन्त्रस्य, भगवान नारद ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः,
श्रीदत्तः परमात्मा देवता, श्रीदत्त प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।
श्रीदत्तः परमात्मा देवता, श्रीदत्त प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः।
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जगदुत्पत्ति कर्त्रे च स्थिति संहार हेतवे।
भवपाश विमुक्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१।।
जरा जन्म विनाशाय देह शुद्धि कराय च।
दिगम्बर दयामूर्ते दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।२।।
कर्पूर कान्ति देहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च।
वेद शास्त्र परिज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।३।।
ह्रस्व दीर्घ कृश स्थूल नाम गोत्र विवर्जित।
पंच भूतैक दीप्ताय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।४।।
यज्ञ भोक्त्रै च यज्ञाय यज्ञ रूप धराय च।
यज्ञ प्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।५।।
आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः।
मूर्तित्रय स्वरूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।६।।
भोगालयाय भोगाय योग्य योग्याय धारिणे।
जितेन्द्रिय जितज्ञाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।७।।
दिगम्बराय दिव्याय दिव्य रूप धराय च।
सदोदित परब्रह्म दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।८।।
जम्बूद्वीपे महाक्षेत्रे मातापुर निवासिने।
जयमानः सतां देव दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।९।।
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे।
नाना स्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१०।।
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाश भूतले।
प्रज्ञानघन बोधाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।११।।
अवधूत सदानन्द परब्रह्म स्वरूपिणे।
विदेह देह रूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१२।।
सत्य रूप सदाचार सत्य धर्म परायण।
सत्याश्रय परोक्षाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१३।।
शूलहस्त गदापाणे वनमाला सुकन्धर।
यज्ञसूत्रधर ब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१४।।
क्षराक्षर स्वरूपाय परात्पर तराय च।
दत्त मुक्ति पर स्तोत्र दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१५।।
दत्तविद्याय लक्ष्मीश दत्त स्वात्म स्वरूपिणे।
गुण निर्गुण रूपाय दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१६।।
शत्रु नाश करं स्तोत्रं ज्ञान विज्ञान दायकम्।
सर्वपाप शमं याति दत्तात्रेय नमोsस्तु ते।।१७।।
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्त प्रत्यक्ष कारकम्।
दत्तात्रेय प्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम्।।१७।।
।।इति श्री नारदपुराणे नारदकृतं दत्तात्रेय स्तोत्रं सम्पूर्णं।।
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